बनारस के गंगा घाट पर बुधवार की शाम को जब उसके शरीर को और चिता पर लेट आने से पहले गंगा जी में नहलाया गया। जैसे ही उसे पानी में ले गए वैसे ही उसके हाथ पैर चलने लगे और मानो की शरीर में सांस लौट आई थी। उसके शरीर में कुछ हरकतें देखने के बाद उस के नाते रिश्तेदार खुश हो गए और जल्दी से BHU हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर में लेकर पहुंचे।
BHU में तुरंत डॉक्टर हरकत में आया और उसका इलाज शुरू कर दिया और जैसे ही उसका इलाज शुरू किया मात्र 15 मिनट बाद वह दोबारा से मृत घोषित कर दिया गया। अबकी बार डॉक्टर से पूरी तरह से जांच पड़ताल कर लेने के बाद ही यह घोषित किया कि वह पूरी तरह से मृत हो चुका है। उस के नातेरिश्तेदारों ने माना जैसे कि मात्र 15 मिनट के लिए ही उसकी जान वापस आई थी यह कोई चमत्कार से कम नहीं है। जिसे देखते हैं और उस के नाते रिश्तेदार जितने दुखी हुए हैं उतने ही हैरान भी हो गए।शादियों में पानी की सप्लाई किया करता। उन दिनों वह अपने काम के दौरान ही सही जा रहा था जिस दिन उसका एक्सीडेंट हुआ और वह घायल हुआ जिसके बाद उसे हॉस्पिटल में रखा गया 2 दिन और आज के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। दुर्घटना के बाद उसे एक मड़ुआडीह स्थित एक नामी अस्पताल में भर्ती कराया। उसके माता-पिता इस घटना से बहुत नाराज हैं उनको ऐसा लगता है कि शायद उस समय विकास का सही इलाज मिलता तो वह आज जिंदा होता।
उसके माता-पिता उन हस्पताल वालों पर केस करना चाहते हैं क्योंकि उनका कहना है यदि विकास को किसी और हॉस्पिटल में ले जाते तो शायद मैं आज बच जाता। क्या आपको भी ऐसा लगता है कि हॉस्पिटल की लापरवाही से उसकी जान चली गई। अब जो भी है उसके माता-पिता अपने 21 वर्षीय बेटे को तो खो चुके हैं उसका दुख हमको भी है लेकिन यदि यह डॉक्टर की लापरवाही से हुआ है तो उन्हें इंसाफ जरूर लेना चाहिए। आपका इसके बारे में क्या कहना है?
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